खाटू श्याम को हारे का सहारा क्यों कहते हैं :- खाटू श्याम भगवान की कहानी बहुत प्राचीन है और इसमें कई महत्वपूर्ण घटनाएं शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि Khatu Shyam का असली नाम महाराज बाबा श्याम देव था, जो राजस्थान के अलवर जिले में स्थित खाटू गांव के निवासी थे। लोग उन्हें भगवान का रूप मानते थे और उनकी पूजा करते थे। Khatu Shyam के जीवन में कई चमत्कारी घटनाएं घटीं, जिनमें से एक उनके महाप्रसाद से जुड़ी है।
मान्यता है कि Khatu Shyam की कृपा से एक गरीब आदमी अपनी दुकान का सामान बेचने लगा और उसके बाद उसकी दुकान चल निकली. Khatu Shyam के इर्द-गिर्द कई रोचक और आध्यात्मिक कहानियाँ घूमती हैं, जिससे उनके भक्तों के बीच आस्था और श्रद्धा मजबूत होती है।
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खाटू श्याम को हारे का सहारा क्यों कहते हैं | Khatu Shyam Ko Hare Ka Sahara Kyon Kahate Hai
युद्ध समाप्त होने के बाद सभी को अपनी जीत पर गर्व महसूस हुआ। समय आ गया था कि वह जीत का श्रेय स्वीकार करें। इस निर्णय के लिए सभी लोग भगवान श्रीकृष्ण के पास गए और सलाह मांगी। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी व्यस्तता दोहराई और कहा कि उन्होंने किसी का पराक्रम नहीं देखा. इसके बाद वे सभी बर्बरीक के पास गये। जब उन्होंने उनसे पांडवों की वीरता के बारे में पूछा तो बर्बरीक का उत्तर देखकर सभी की निगाहें झुक गईं।
इसके बाद, भगवान कृष्ण ने उनका नाम बदलकर “श्याम” रख दिया क्योंकि उन्होंने उनकी कला और शक्तियों के सम्मान में उन्हें यह उपहार दिया था। उन्होंने बर्बरीक को एक विशेष वरदान दिया, जिसमें वह हारे हुए का सहारा बनकर उसकी सहायता करेगा और उसके दरबार में आने वाले सभी विचारों को पूरा करेगा। इस प्रकार, Khatu Shyam मंदिर का निर्माण हुआ और उनकी कहानी प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत बन गई।
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खाटू श्याम के 11 नाम | Khatu Shyam Ke 11 Naam
ये सात्विक और महान नाम Khatu Shyam की विशिष्टता को उजागर करते हैं। उनके नाम उनकी अनंत शक्तियों और दिव्यताओं को दर्शाते हैं। इन नामों का अर्थ व्यक्तिगत और सामाजिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। प्रत्येक नाम एक अलग गुणवत्ता और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जो Khatu Shyam को एक अद्वितीय और प्रिय देवता बनाता है। उनके नामों का ध्यान करने से भक्तों को सदियों से प्रेरणा मिलती रही है, जिससे उनकी महिमा और भक्ति के बारे में जागरूकता बढ़ी है।
- बर्बरीक
- मौरवी नंदन
- तीन बाण धारी
- शीश का दानी
- कलियुग के अवतारी
- खाटू नरेश
- लखदातार
- लीले का अश्वार
- खाटू श्याम
- हारे का सहारा
- श्री श्याम
खाटू श्याम किसके पुत्र थे | Khatu Shyam Kis Ke Putr The
Khatu Shyam पांडव पुत्र भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र थे। उनका वास्तविक नाम बर्बरीक था, उन्हें महाभारत काल में भगवान कृष्ण ने वरदान दिया था। भगवान कृष्ण ने उन्हें वहीं पर्वत पर शिक्षा दी थी और अपने आशीर्वाद से उन्हें वरदान दिया था कि कलियुग में उनकी पूजा भगवान कृष्ण के नाम से की जाएगी। इस आशीर्वाद के बाद उनका नाम Khatu Shyam प्रसिद्ध हो गया, जिन्हें लोग आज भी भक्ति और श्रद्धा से पूजते हैं।
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खाटू श्याम जी के मंत्र | Khatu Shyam Ji Ka Mantra
Khatu Shyam Baba का गायत्री मंत्र, “ओम मोर्वी नंदनाय विद महे श्याम देवाय धीमहि तन्नो बर्बरीक प्रचोदयात्” जीवन की हर समस्या के समाधान का प्रमुख माध्यम है। इस मंत्र का जाप करने से जीवन में खुशियां आती हैं। यह मंत्र संपूर्ण आत्मा को शक्ति और प्रसन्नता की प्रेरणा देता है, जिससे हर कार्य में सफलता मिलती है। इस मंत्र के नियमित जाप से व्यक्ति का आध्यात्मिक और आध्यात्मिक विकास होता है और वह अपने जीवन में संतुष्टि और समृद्धि का अनुभव करता है।
खाटू श्याम का इतिहास | Khatu Shyam Ka Itihas
महाभारत के युद्ध के दौरान बर्बरीक ने अपनी योजना अपनी माता अहिलावती को बताई। उन्होंने सोचा कि जो पक्ष हार रहा हो, उन्हें वहां जाना चाहिए और वहां उनका समर्थन करना चाहिए. उनकी माँ ने उन्हें इस विचार के संबंध में बुद्धिमानी भरी सलाह दी। बर्बरीक ने भगवान कृष्ण को देखा और उनकी गुमनामी को देखकर अपना शीश उन्हें अर्पित कर दिया। भगवान ने उन्हें अपने स्वाभाविक रूप में अपना विराट स्वरूप दिखाया, जिससे बर्बरीक को आध्यात्मिक मुक्ति मिली। इस आश्चर्यजनक घटना ने उनके आत्मविश्वास को मजबूत किया और उन्हें युद्ध के मैदान से सटे एक ऊंची पहाड़ी पर एक स्थान प्राप्त करने की अनुमति दी, जहां से उन्हें पूरी लड़ाई का निरीक्षण करने का अवसर मिला।