खाटू श्याम के 11 नाम:- सीकर की खाटू नगरी में स्थित Baba Shyam का मंदिर एक अनोखा स्थान है, जो भक्तों को शांति और आनंद की अनुभूति देता है। यहां आने वाले लाखों भक्त उन्हें Khatu Shyam Ke 11 Name से ही जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके अलावा उन्हें 11 और अनोखे नामों से भी बुलाया जाता है. ये नाम उनके भक्तों को प्रिय हैं और उनकी भक्ति में समर्पित हैं। “हारे के सहारा बाबा श्याम” नाम के माध्यम से भक्त अपने मन की गहराइयों से जुड़ते हैं और अपने जीवन को सकारात्मक राह पर ले जाते हैं। Khatu Shyam के इन अनोखे नामों के माध्यम से उनके भक्त उनके प्रति समर्पित होते हैं।
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बाबा खाटू श्याम के 11 नाम | Khatu Shyam Ke 11 Naam
सीकर की Khatu Nagri में स्थित Baba Shyam का मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां हमेशा भक्ति का माहौल बना रहता है। Baba Shyam को अपनी सच्ची भक्ति पर बहुत भरोसा है, जिसका एहसास उनके भक्त अपने जीवन में करते हैं। Khatu Nagri में 20 मार्च को Baba Shyam का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। इस खास मौके पर सजावट और धार्मिक उत्साह से हर कोना रंगीन नजर आएगा. मेले के आयोजन के साथ-साथ मंदिर ट्रस्ट और प्रशासन इस खास दिन के लिए योजनाओं को भी अपडेट करने में लगा हुआ है. इस अवसर पर भक्तों को शांति और ध्यान के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान किया जाएगा, ताकि वे Baba Shyam का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें और अपने जीवन में समृद्धि की ओर बढ़ सकें।
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श्याम बाबा के 11 प्रसिद्ध नाम
- बर्बरीक (Barbarik)
- मौरवी नंदन (Maurvi Nandan)
- तीन बाण धारी (Teen Baan Dhari)
- शीश का दानी (Sheesh Ka Daani)
- कलियुग के अवतारी (Kalyug Ke Avatari)
- खाटू नरेश (Khatu Naresh)
- लखदातार (Lakhadatar)
- लीले का अश्वार (Lele Ka Ashvar)
- खाटू श्याम (Khatu Shyam)
- हारे का सहारा (Hare Ka Shara)
- श्री श्याम (Shree Shyam)
श्याम बाबा के 11 नामों का महत्व | Shyam Baba Ke 11 Namon Ka Mahatva
बर्बरीक (Barbarik):- महाभारत काल में अत्यंत शक्तिशाली गदाधारी भीम के पुत्र घटोत्कच का विवाह नागकन्या मौरवी से हुआ था। घटोत्कच और मौरवी की संतान बर्बरीक थे, जो बाद में श्याम के नाम से प्रसिद्ध हुए।
मौरवी नंदन (Maurvi Nandan):- मौरवी (कामनकांता) की संतान होने के कारण बर्बरीक यानि श्याम बाबा को मौरवी नंदन कहा जाता है। Khatu Shyam मेले के दौरान मौरवी नंदन के जयकारे खूब गूंजते हैं।
तीन बाण धारी (Teen Baan Dhari):- बर्बरीक को महाभारत के युद्ध में उनके महान योगदान के लिए याद किया जाता है, जहाँ उनकी क्षमताओं ने उन्हें अद्वितीय बना दिया था। उन्होंने अपने बाणों की शक्ति और पराक्रम से संपूर्ण ब्रह्माण्ड को विजयी बना दिया था। इसीलिए उन्हें तीन भुजाओं वाला कहा जाता है, जो उनकी अद्वितीय शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। न केवल पृथ्वी पर बल्कि ऊपरी लोकों में भी बर्बरीक जैसा कोई धनुर्धर नहीं था। उनका योगदान और वीरता न केवल अपने समय में बल्कि आज भी हमारे इतिहास में अमर है।
शीश का दानी (Sheesh Ka Daani):- महाभारत युद्ध के दौरान बर्बरीक ने अपनी माँ से आशीर्वाद लेने का अनुरोध किया। माँ ने उसे हारने वाले पक्ष का साथ देने का वचन दिया, जिसका अर्थ था कि जो हारेगा उसकी तरफ से उसे लड़ना होगा। बर्बरीक ने भगवान कृष्ण की शक्ति और विशालता को समझकर उनकी जीत के लिए उनकी ओर से युद्ध लड़ने का निर्णय लिया। जिससे युद्ध का परिणाम कौरवों के पक्ष में हो सके। इस प्रकार उसने ब्राह्मण के भेष में आकर उसका शीश माँगा और अपना शीश दान में दे दिया। इसी उदारता और वीरता के कारण उन्हें श्याम बाबा के शीश का दानी कहा जाता है।
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Shree Shyam Baba Ke 11 Name
कलियुग के अवतारी (Kalyug Ke Avatari):- भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक का नाम श्याम रखा और यह वरदान भी दिया कि कलियुग में उनकी पूजा की जायेगी। इसीलिए उन्हें कलियुग का अवतार भी कहा जाता है। इस समय कलयुग चल रहा है और ऐसे में श्याम बाबा भक्तों की आस्था का केंद्र हैं। हर साल लाखों भक्त बाबा के दरबार में आते हैं, जो उनकी अनोखी और अद्भुत शक्तियों की प्रासंगिकता को दर्शाता है।
खाटू नरेश (Khatu Naresh):- श्याम बाबा खाटू के अधिपति हैं और खाटू नरेश कहलाते हैं। उनकी दैवीय शक्ति और भक्ति ने उन्हें खाटू का सर्वोच्च नेता बना दिया है। उनका राज्य न केवल भक्तों के मन में बल्कि समाज में भी अद्वितीय सम्मान और प्रेम का प्रतीक है। उनके आशीर्वाद के कारण ही खाटू नरेश अपने भक्तों के दिलों में बसे हैं, जो हर साल उनकी कृपा और आशीर्वाद के लिए उनके दरबार में पहुंचते हैं।
लखदातार (Lakhadatar):- श्याम बाबा की महिमा निराली है. ऐसा कहा जाता है कि जिस पर श्याम बाबा की कृपा हो जाती है वह हर तरह से समृद्ध हो जाता है। इसी मान्यता के कारण श्याम बाबा को लखदातार कहा जाता है। उनके मेले में पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात आदि से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं, जो उनकी प्रसिद्धि और शक्ति को सिद्ध करता है।
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हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा
लीले का अश्वार (Lele Ka Ashvar):- श्याम बाबा को लीला का घोड़ा कहा जाता है. इसका आधार वीर बर्बरीक का नीले रंग का घोड़ा था, जिसे स्थानीय भाषा में ‘लीला’ भी कहा जाता है। इसी कारण से, उन्हें ‘नीले रंग के घोड़े’ या ‘नीले रंग के घोड़े’ कहा जाता है। उनके घोड़े के रंग का यह अनोखा संयोजन उन्हें और उनके भक्तों को भगवान का साथी बनाता है।
खाटू श्याम (Khatu Shyam):- Khatu Shyam एक ऐसा नाम है जो हर भक्त के दिल में एक खास जगह रखता है। उनका मंदिर न केवल आसपास के क्षेत्रों से बल्कि अन्य राज्यों और देशों से भी भक्तों को आकर्षित करता है। Khatu Shyam के दर्शन करने वाले हमेशा उनकी कृपा और आशीर्वाद पर विश्वास करते हैं, जिससे उनकी भक्ति में गहराई और प्रेम और भी बढ़ जाता है।
हारे का सहारा (Hare Ka Shara):- हर तरफ से निराश व्यक्ति जब श्याम बाबा की भक्ति में लीन हो जाता है तो उसके सभी दुख और पाप खत्म हो जाते हैं। उनके आशीर्वाद से ही उनके जीवन की अंधेरी राह में रोशनी की किरणें चमकने लगती हैं। इसलिए, श्याम बाबा को हारे का सहारा कहा जाता है, क्योंकि जो लोग उनकी भक्ति में विश्वास और आस्था रखते हैं, वे हमेशा उनके आशीर्वाद पर विश्वास करते हैं, जो उन्हें सभी कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है।
श्री श्याम (Shree Shyam):- श्री कृष्ण ने बर्बरीक को शीश का दान मांगने का कारण बताया. युद्ध से पहले युद्धभूमि की पूजा के लिए तीनों लोकों में सर्वश्रेष्ठ क्षत्रिय के शीश का बलिदान देना पड़ता है। बर्बरीक ने उनसे युद्ध को अंत तक देखने और उन्हें अपना नाम देने का अनुरोध किया। श्रीकृष्ण ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली। उनके बलिदान की ख़ुशी और उदाहरण को देखकर बर्बरीक को श्याम नाम से सम्मानित किया गया।
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