Electoral Bond Kya Hai :- भारत में चुनावी साल और इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा हालांकि सुप्रीम कोर्ट Electoral Bond पर अपना फैसला सुना चुका है. लेकिन उसके बाद भी देशभर में बहस जारी है, और हो भी क्यों ना देशभर में आम चुनाव जो होने हैं. और उन चुनावों के लिए पैसा चाहिए. सरकार के पास पैसा इन्हीं Electoral Bond से ही आता रहा है या ये कहा जाए की इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए बड़े-बड़े उद्योगपति सरकार को चंदा देते आते हैं. चुनावी बॉन्ड या इलेक्टोरल बॉन्ड हर तिमाही की शुरुआत में सरकार की ओर से 10 दिनों की अवधि के लिए उपलब्ध कराए जाते रहे हैं. इसी बीच उनकी खरीदारी की जाती है. सरकार की ओर से चुनावी बॉन्ड की खरीद के लिए जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के पहले 10 दिन तय किए गए हैं.
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता पर अपना निर्णायक फैसला सुनाया और उच्चतम कोर्ट ने चुनाव बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगा दी है. इलेक्टोरल बॉन्ड एक तरह का वचन पत्र है. इसकी खरीदारी भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की कुछ शाखाओं पर किसी भी भारतीय नागरिक या कंपनी द्वारा की जा सकती है. इस बॉन्ड के जरिए नागरिक या कॉरपोरेट कंपनियां अपनी पसंद की किसी भी राजनीतिक पार्टी को को दान कर सकती हैं या पैसे दे सकती हैं.
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इलेक्टोरल बॉन्ड फैसला क्या है | Electoral Bond Kya Hai
अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट के CJI डी. वाई. चंद्रचूड़ समेत पांच जजों की संविधान पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर सुनवाई शुरू की थी. ये सुनवाई 31 अक्टूबर को शुरू हुई और 1 और 2 नवम्बर तक जारी रही, इसके बाद Supreme Court ने इस मामले पर अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था. लेकिन इसके बाद जो जानकारियां सामने आईं, उसमें ये साफ हो गया था, सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला सुरक्षित होने के बाद भी सरकार ने नए इलेक्टोरल बॉन्ड छपने दिए.
सूचना के अधिकार के ज़रिए प्राप्त जानकारी से पता चला कि 8,350 इलेक्टोरल बॉन्ड की आख़िरी खेप साल 2024 में छाप कर उपलब्ध भी करवाई गई.
ये खेप 21 फरवरी 2024 को सप्लाई की गई. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को अपना फैसला सुनाते हुए इलेक्टोरल बॉन्ड के असंवैधानिक करार दिया था और उन्हें रद्द कर दिया था.
Electoral Bond के लाभ
चुनावी बॉन्ड के नुकसान के साथ-साथ फायदे भी थे, इसीलिए तो इनकी डिमांड भी ज्यादा थी. तो आपको बताते हैं कि इलेक्टोरल बॉन्ड के क्या लाभ थे…
- चुनावी बांड जारी करने पर कई कर लाभ हैं. चुनावी बांड दाता को इसके लिए अतिरिक्त कर लाभ मिलता है.
- आयकर अधिनियम के तहत, किसी के चुनावी बांड दान को धारा 80 जीजी और धारा 80 जीजीबी के तहत कर-मुक्त माना जाता है.
- चुनावी बांड का व्यापक उपयोग उन राजनीतिक दलों को रोकने में मदद कर सकता है जो केवल जनता से धन इकट्ठा करने के लक्ष्य के साथ काम करते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि आम चुनाव में कम से कम 1% वोट प्राप्त करने वाली पंजीकृत पार्टियां ही चुनावी फंडिंग प्राप्त कर सकती हैं.
- चुनावी बांड चुनावी फंडिंग को पूरी तरह सुरक्षित और डिजिटल बनाने के सरकारी लक्ष्य के साथ काम करते हैं. इसलिए, 2000 रुपये से अधिक का कोई भी दान चुनावी बांड और चेक के रूप में होना कानूनी रूप से आवश्यक नहीं है.
- चुनावी बांड के सभी लेन-देन चेक या डिजिटल माध्यम से किए जाते हैं.
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चुनावी बॉन्ड कौन जारी करता है
सबसे पहले चुनावी बॉन्ड को फाइनेंशियल (वित्तीय) बिल (2017) के साथ पेश किया गया था. 29 जनवरी, 2018 को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने Electoral Bond योजना 2018 को अधिसूचित किया था. उसी दिन से इसकी शुरुआत हुई. Electoral Bond हर तिमाही की शुरुआत में सरकार की ओर से 10 दिनों की अवधि के लिए बिकी के लिए उपलब्ध कराए जाते रहे थे. इसी बीच उनकी खरीदारी की होती थी. सरकार की ओर से चुनावी बॉन्ड की खरीद के लिए जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के पहले 10 दिन तय किए गए थे. लोकसभा चुनाव के वर्ष में सरकार की ओर से 30 दिनों की अतिरिक्त अवधि तय किए जाने का प्लान बनाया गया था.
चुनावी बॉन्ड की शुरुआत करते हुए सरकार ने ये दावा किया था कि इससे राजनीतिक फंडिंग के मामलों में पारदर्शिता आएगी. इस बॉन्ड के जरिए अपनी पसंद की पार्टी को चंदा दिया जा सकता था.
Electoral Bond list कैसे चेक करें
SBI को सुप्रीम कोर्ट से आदेश मिले थे की Electoral Bond का डेटा उपलब्ध कराया जाए, जिसके बाद एस बी आई ने जवाब में बताया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स का डेटा चुनाव आयोग को सौंप दिया है. चुनाव आयोग ने एसबीआई की तरफ से इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 15 मार्च 2024 को शाम 5 बजे से पहले डेटा पब्लिश करने का आदेश दिया था. चुनाव आयोग ने समय सीमा पूरी होने से पहले ही डेटा भारत निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है.
- यदि आप Electoral Bond की List चेक करना चाहते हैं तो हम आपको बताएंगे ये कैसे संभव है…सबसे पहले Election Commission of India की ऑफिशियल वेबसाइट https://www.eci.gov.in/ पर जाएं.
- यहां पर आपको तीन ऑप्शन शो होंगे. होम, पॉलिटिकल पॉर्टिज और Disclosure of Electoral Bonds, डेटा देखने के लिए डिस्कलोजर ऑफ इलेक्टोरल बॉन्ड्स के ऑप्शन पर क्लिक करें.
- इसमें दो पार्ट्स में डेटा अपलोड किया है. इसमें अगर आप पार्ट 1 पर क्लिक करेंगे तो आपको जिन पॉलिटिकल पार्टियों को बॉन्ड मिले हैं, उनके नामों की लिस्ट मिल जाएगी, वहीं अगर आप पार्ट 2 पर क्लिक करेंगे तो आपको बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों और लोगों के नामों की पूरी लिस्ट दिख जाएगी.
- इस तरीके से आप Electoral Bond का पूरा डेटा देख सकते हैं.
FAQ‘s Electoral Bond Kya Hai
Q. सुप्रीम कोर्ट ने कब रद्द किए Electoral Bond?
Ans. 15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने Electoral Bond को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया.
Q. Electoral Bond कौन खरीद सकता था?
Ans. Electoral Bond भारत कोई नागरिक या किसी कंपनी के नाम से खरीदे जा सकते थे.
Q. Electoral Bond कब शुरू हुए?
Ans. साल 2018 में नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार ने इनकी शुरआत की थी.