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कौनसी जाति, धर्म होंगे प्रभावित जानिए यूनिफॉर्म सिविल कोड के नुकसान

यूनिफॉर्म सिविल कोड के नुकसान के बारे में आज हम बात करेंगे. लोक सभा चुनावों से पहले एक बार फिर पूरे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) या समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर बहस हो रही है.   सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी ने एक देश में एक समान कानून की मांग को पूरा करने वाली बात पर जोर देते हुए देशभर में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के संकेत दिए हैं. 

यूनिफॉर्म सिविल कोड में देश के सभी धर्मों और समुदायों  के लिए एक समान कानून बनाने की बात की गई है. आने वाले महीनों में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए जो BJP ने अपना घोषणा पत्र जारी किया है, उसमें भी समान नागरिक संहिता (UCC) की बात की गई है. 

Uniform Civil Code Ke Nuksan

समान नागरिक संहिता अनुच्छेद

यूनिफॉर्म सिविल कोड पहली बार ब्रिटिश राज के दौरान मुख्य रूप से हिंदू और मुस्लिम के लिए बनाए गए थे. समान नागरिक संहिता (UCC) का उल्लेख भारत के संविधान के भाग 4 के अनुच्छेद 44 में है. संविधान में ये निर्देश दिया गया है कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना हमारा लक्ष्य होगा. सुप्रीम कोर्ट के द्वारा भी कई बार यूनिफॉर्म सिविल कोड के संबंध में केंद्र सरकार की विचारधारा जानने की पहल की गई है. 

अब तक भारत में अधिकतर निजी कानून धर्म के आधार पर तय किए गए हैं. हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध के लिए व्यक्तिगत कानून है, जबकि ईसाइयों और मुसलमानों के लिए उनके अपने कानून हैं. देश में इस समय समान नागरिक संहिता को लागू करने पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है. इसे लेकर सभी को ये लगता है की इसके नुकसान हैं. तो हम आपको हमारे इस आर्टिकल में बताएंगे की Uniform Civil Code के नुकसान हैं या फायदे, और इसके लागू होने के बाद क्या बदल जाएगा और क्या नहीं.

यूनिफॉर्म सिविल कोड के फायदे क्या है : UCC लागू होने के फायदे जाने

यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है?

अब हम आपको बताते हैं कि Uniform Civil Code क्या है, अभी तक भारत में इसे लेकर सबके अपने विचार हैं. लेकिन जो सही बात है वो हम आपको बताएंगे. UCC एक सामाजिक मामलों से जुड़ा कानून होता है, जो सभी धर्मों के लोगों के लिए विवाह, तलाक, भरण-पोषण, उत्तराधिकार और बच्चा गोद लेने में समान रूप से लागू होता है. यदि भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होता है तो कोई भी धर्म का व्यक्ति अपने व्यक्तिगत कानूनों का उपयोग नहीं कर सकता, उसे UCC के नियमों का पालन ही करना होगा, अगर ऐसा नहीं होता है तो उस व्यक्ति या परिवार या धर्म के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.

पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करना सत्ताधारी दल BJP के द्वारा किए गए वादों में से एक है. लेकिन इस समय UCC भारत में एक बहस का मुद्दा बना हुआ, क्योंकि जो धर्म या समुदाय अपने धार्मिक ग्रंथों पर आधारित कानूनों को मानते हैं, उन्हें लगता है की उनकी परंपराओं का या नियमों का इस कानून के लागू होने के बाद हनन हो जाएगा. लेकिन इन सभी चर्चाओं और बहसों से परे होकर भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25-28 भारतीय नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता गारंटी देता है. 

समान नागरिक संहिता (UCC) की प्रक्रिया की शुरुआत ब्रिटिश भारत के समय से हुई. साल 1882 में हेस्टिंग्स योजना से इसकी प्रक्रिया शुरू हुई और शरिअत कानून के लागू होने से इसका अंत हुआ. यूनिफॉर्म सिविल कोड उस समय कमजोर हुआ जब सेक्यूलरों ने मुस्लिम तलाक और विवाह कानून को लागू किया, जिसमें तीन तलाक (triple talaq) और एक से ज्यादा शादियां शामिल थीं. 1929 में  मुसलमानों से बाल विवाह रोकने के लिए अवज्ञा आंदोलन में शामिल होने की अपील की गई. इस अवज्ञा आंदोलन का अंत तब हुआ जब देश में मुस्लिम जजों को मुस्लिम शादियों को तोड़ने की अनुमति दी गई. 

अब एक बार फिर देशभर में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लागू करने के बात जारी है. 

Uniform Civil Code कब लागू हुआ

 Uniform Civil Code का जिक्र 1835 में ब्रिटिश सरकार की एक रिपोर्ट में किया गया था. इस रिपोर्ट में जिक्र था कि अपराधों, सुबूतों और ठेके जैसे मामलों के लिए समान कानून लागू होना चाहिए. वहीं इस रिपोर्ट में ये भी नहीं खा गया था कि इस कानून को लागू करने के बाद हिंदू और मुसलमानों के धार्मिक कानूनों में कोई फेरबदल किया जाएगा. आज समान नागरिक संहिता पर चर्चा हो रही है, लेकिन 1867 में इस कानून के बनने के बाद देश के गोवा राज्य में इसे 1869 में सबसे पहले लागू किया गया था. गोवा में इस समय सिविल कोड लागू है, इसे गोवा का UCC भी कहा जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें जब इस कानून को गोवा में लागू किया गया था, उस समय गोवा पुर्तगाल के कब्जे में था.

लेकिन जब 1961 में गोवा पुर्तगाल से आजाद हुआ और भारत का हिस्सा बना तो वहां कई कानूनों को बदला गया.  लेकिन 1962 में गोवा में लागू गोवा सिविल कोड को गोवा, दमन और दिउ एडमिनिस्ट्रेशन एक्ट, 1962 के सेक्शन 5(1) में जगह दे दी. यदि आजाद भारत के बाद की बात की जाए तो भारत में गोवा ऐसा राज्य है जहां भारत सरकार की अनुमति से Uniform Civil Code  लागू है. 

यूनिफॉर्म सिविल कोड के नुकसान क्या है 

अब इन सभी बातों के बाद ये बात आती है की भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बहस क्यों छिड़ी है, इसे लागू करने का विरोध क्यों किया जा रहा है. तो हम आपको अब UCC के नुकसान बताते हैं. 

  • हिंदू मैरिज एक्ट में कई बार सुधार किए गए, लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ में बदलाव नहीं किया गया. जैसे साल 2005 के बाद से हिंदू कानून के तहत बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में हक मिला है. कहा जाता है कि समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद हिंदू अविभाजित परिवार का प्रावधान खत्म हो जाएगा. 
  • आदिवासी संगठनों का UCC को लेकर ये विचार है कि, इसके लागू होने के बाद आदिवासियों की पहचान को खतरा हो सकता है. UCC आई वजह से आदिवासियों को जमीन की सुरक्षा देने वाले कानून निरस्त हो जाएंगे. 
  • Uniform Civil Code का सबसे ज्यादा विरोध पूर्वोत्तर के राज्यों में किया जा रहा है. मेघालय राज्य में आदिवासी परिषद ने UCC को लेकर एक प्रस्ताव पास किया है. इस प्रस्ताव को पास करते हुए खासी हिल्स ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल ने माना है कि Uniform Civil Code के लागू होने के बाद खासी समुदाय की परंपराओं और धार्मिक मामलों से जुड़ी आजादी पर असर होगा.

FAQ’s यूनिफॉर्म सिविल कोड के नुकसान

Q. भारत में क्यों हो रहा यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध?

Ans. भारत के समुदायों को उनकी परंपराओं और मान्यताओं के हनन का खतरा महसूस हो रहा है.

Q. UCC के फायदें होने के साथ नुकसान भी हैं?

Ans. हां, कुछ हद तक समान नागरिक संहिता के नुकसान भी हो सकते हैं.

Q. क्या भारत सरकार देश में लागू करना चाहती है Uniform Civil Code?

Ans. जी हां, भारत सरकार सर्वसम्मति से इस कानून को लागू कराना चाहती है.

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