पूरा देश इस समय भीषण गर्मी से झूझ रहा है। राजस्थान में इस समय 46 डिग्री से लेकर 53 डिग्री तापमान है। सबसे ज्यादा 51 डिग्री तापमान जैसलमेर में चल रहा है। सब लोगों के मन में एक ही सवाल है Mansoon Kab Aayega मानसून के आने से ही तपती गर्मी से राहत मिल सकती है। भारत के लिए मानसून का आगमन एक महत्वपूर्ण घटना है, जो कृषि, जल संसाधनों और समग्र अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। हर साल, लोग बेसब्री से मानसून की पहली बारिश का इंतजार करते हैं, जो गर्मी से राहत लाती है।
भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत आमतौर पर केरल से होती है। जो की जून महीने की शुरुआत में ही भारत में प्रवेश करता है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार मानसून की सटीक तिथि की भविष्यवाणी कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे समुद्र की सतह का तापमान, हवा की गति और दिशा, और वायुमंडलीय दवाब की स्थिति। आइए जानते है मानसून कब आएगा और राजस्थान में मानसून कब प्रवेश करेगा?
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मानसून का देशभर में प्रवेश
केरल में प्रवेश के बाद, मानसून धीरे-धीरे उत्तर और पूर्व दिशा में फैलता है। इसके आगे बढ़ने की गति विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें स्थानीय जलवायु, भौगोलिक संरचना, और अन्य मौसम संबंधी परिस्थितियाँ शामिल हैं। सामान्यत: मानसून का फैलाव इस प्रकार होता है:
- केरल में आगमन: 1 जून
- कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश: 5-10 जून
- महाराष्ट्र और गोवा: 10-15 जून
- गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा: 15-20 जून
- उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल: 20-25 जून
- दिल्ली, हरियाणा, पंजाब: 25-30 जून
- राजस्थान में 25 जून से 5 जुलाई के बिच Mansoon की दस्तक हो जाती है।
मौसम विभाग (IMD) के अनुसार मानसून कब आएगा
भारतीय मौसम विभाग (IMD) द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, इस साल मानसून काफी अच्छा रहने की उम्मीद है। IMD के वैज्ञानिकों का कहना है कि राजस्थान में मानसून जून में दस्तक देगा. मौसम विभाग ने राजस्थान में 25 जून से 6 जुलाई तक मॉनसून पहुंचने के आसार जाताया है. मौसम विभाग ने बताया कि पूरे देश में दक्षिण पश्चिम मानसून जून में आएगा और जून से सितंबर तक वर्षा सामान्य से अधिक (106%) होने की संभावना है.
राजस्थान में मानसून कब प्रवेश करेगा
राजस्थान में मानसून आमतौर पर 25 जून से 6 जुलाई के बीच प्रवेश करता है।
इस साल: IMD (भारतीय मौसम विभाग) का अनुमान है कि मानसून 27 जून से 2 जुलाई के बीच राजस्थान में पहुंचेगा।
मानसून आने में देरी के कारण है अल-नीनो और ला-नीना
यह एक जलवायु पैटर्न है जो प्रशांत महासागर के तापमान को प्रभावित करता है। और मानसून की बारिश को कम कर सकता है।
भारतीय उपमहाद्वीप में कम दबाव का क्षेत्र के कारण मानसून की हवाएं कमजोर हो सकती हैं और बारिश कम हो सकती है।
पश्चिमी विक्षोभ: ये मौसम प्रणाली मानसून की गति को धीमा कर सकती हैं। मौसमी हवाएं भूमध्य रेखा के साथ पश्चिम की ओर बहती हैं, जो समुद्र के गर्म पानी को दक्षिण अमेरिका से एशिया की ओर ले जाती हैं. अब गर्म पानी को ठंडा करने के लिए समुंद्र के नीचे का पानी ऊपरी सतह पर आता है. इससे दो विपरीज जलवायु पैटर्न अल-नीनो और ला-नीना बनते हैं.
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