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नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास : किसने जलाया, कब और किसने की थी स्थपना सब जाने | Nalanda University 2024

Nalanda University प्राचीन भारत का एक अद्वितीय शिक्षा केंद्र था, जो वर्तमान बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित था। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने की थी। यह विश्वविद्यालय 800 वर्षों तक शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा और यहाँ विभिन्न देशों से विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने आते थे। इस विश्वविद्यालय ने प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली को समृद्ध किया और इसे विश्व में प्रसिद्धि दिलाई। आईए जानते है  नालंदा यूनिवर्सिटी का इतिहास, नालंदा विश्वविद्यालय की स्थपना कब हुई थीनालंदा यूनिवर्सिटी को किसने जलाया था:- 

नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास

Nalanda University History अत्यंत प्राचीन और गौरवमयी है। इसका उल्लेख पहली बार 5वीं शताब्दी में मिलता है, जब गुप्त साम्राज्य अपने उत्कर्ष पर था। Nalanda Vishwavidyalaya की स्थापना सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने 427 ईस्वी में की थी। इसके बाद यह विभिन्न राजाओं और साम्राज्यों द्वारा संरक्षण और सहायता प्राप्त करता रहा, जिससे यह एक प्रमुख शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित हुआ।

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प्रारंभिक इतिहास

Nalanda University की स्थापना के पीछे मुख्य उद्देश्य बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ विभिन्न विज्ञानों और कलाओं का अध्ययन और शिक्षण था। प्रारंभ में, यह एक छोटे से मठ के रूप में शुरू हुआ, जो समय के साथ-साथ एक विशाल और सुव्यवस्थित विश्वविद्यालय में परिवर्तित हो गया। यहाँ के विद्यार्थी और शिक्षक उच्चतम स्तर की विद्वता के लिए जाने जाते थे।

मध्यकालीन इतिहास

मध्यकाल में, Nalanda University ने अपनी ख्याति को और अधिक बढ़ाया। यह विभिन्न राजाओं द्वारा संरक्षित और पोषित किया गया। यहाँ पर विभिन्न देशों से विद्यार्थी और विद्वान आते थे, जिनमें तिब्बत, चीन, कोरिया, जापान, मंगोलिया और मध्य एशिया के लोग शामिल थे। नालंदा में अध्ययन करने वाले प्रमुख विद्वानों में चीनी यात्री ह्वेनसांग और इत्सिंग प्रमुख थे, जिन्होंने नालंदा की प्रशंसा में विस्तृत विवरण लिखे हैं।

नालंदा विश्वविद्यालय कहाँ है

university आधुनिक भारत के बिहार राज्य में स्थित है। यह पटना से लगभग 95 किलोमीटर दूर, नालंदा जिले में स्थित है। इसके निकटवर्ती क्षेत्र में राजगीर और बोधगया जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल भी हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। नालंदा का भौगोलिक स्थान इसे एक प्रमुख शिक्षा केंद्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।

नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना कब हुई

Nalanda University की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त प्रथम द्वारा 427 ईस्वी में की गई थी। इसके बाद यह विभिन्न राजाओं और साम्राज्यों द्वारा संरक्षण और सहायता प्राप्त करता रहा, जिससे यह एक प्रमुख शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित हुआ। यह विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए विश्व प्रसिद्ध हुआ।

नालंदा यूनिवर्सिटी क्यों प्रसिद्ध है

नालंदा विश्वविद्यालय अपनी शिक्षा प्रणाली, विशाल पुस्तकालय, और विश्वस्तरीय विद्वानों के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ आने वाले विद्यार्थी विभिन्न देशों से आते थे, जिनमें तिब्बत, चीन, कोरिया, जापान, मंगोलिया और मध्य एशिया शामिल थे। यहाँ अध्ययन करने वाले प्रमुख विद्वानों में चीनी यात्री ह्वेनसांग और इत्सिंग प्रमुख थे, जिन्होंने नालंदा की प्रशंसा में विस्तृत विवरण लिखे हैं।

शिक्षा प्रणाली

Nalanda University की शिक्षा प्रणाली अत्यंत उन्नत और सुव्यवस्थित थी। यहाँ विद्यार्थियों को शास्त्रार्थ, व्याख्यान, और संवाद के माध्यम से शिक्षा दी जाती थी। प्रत्येक विषय के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित शिक्षक होते थे, जो विद्यार्थियों को गहन ज्ञान प्रदान करते थे। यहाँ की शिक्षा प्रणाली ने विभिन्न देशों के शिक्षा प्रणालियों को प्रभावित किया।

नालंदा पुस्तकालय

Nalanda Vishwavidyalaya का पुस्तकालय विश्व का सबसे बड़ा और समृद्ध पुस्तकालय था। इसे “धर्मगंज” के नाम से जाना जाता था और इसमें तीन मुख्य इमारतें थीं – रत्नसागर, रत्नोदधि, और रत्नरंजक। यहाँ लाखों की संख्या में पांडुलिपियाँ और ग्रंथ उपलब्ध थे, जिनमें विभिन्न विषयों पर लेख और शोध कार्य शामिल थे। यह पुस्तकालय विद्वानों और विद्यार्थियों के लिए ज्ञान का भंडार था।

नालंदा यूनिवर्सिटी के प्रसिद्ध कोर्स

Nalanda University में अनेक प्रकार के कोर्स पढ़ाए जाते थे, जिनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल थे:

  1. बौद्ध धर्म
  2. वेद और वेदांग
  3. व्याकरण
  4. तंत्र
  5. चिकित्सा
  6. गणित और ज्योतिष
  7. दर्शनशास्त्र
  • बौद्ध धर्म

विश्वविद्यालय बौद्ध धर्म के अध्ययन और अनुसंधान के लिए विश्व प्रसिद्ध था। यहाँ पर बौद्ध धर्म के विभिन्न संप्रदायों का गहन अध्ययन किया जाता था। विद्यार्थियों को बौद्ध धर्म के सिद्धांत, ध्यान और साधना की विधियाँ सिखाई जाती थीं।

  • वेद और वेदांग

नालंदा विश्वविद्यालय में वेद और वेदांग का अध्ययन भी महत्वपूर्ण था। यहाँ पर वेदों के विभिन्न शाखाओं का गहन अध्ययन और विश्लेषण किया जाता था। विद्यार्थियों को वेदों के महत्व, उनके मंत्रों और ऋचाओं का अध्ययन कराया जाता था।

  • व्याकरण

संस्कृत व्याकरण का अध्ययन नालंदा विश्वविद्यालय का एक प्रमुख विषय था। यहाँ पर पाणिनि के अष्टाध्यायी और अन्य व्याकरण ग्रंथों का अध्ययन किया जाता था। विद्यार्थियों को संस्कृत भाषा के नियमों और संरचना का गहन ज्ञान प्रदान किया जाता था।

  • तंत्र
  • तंत्र विद्या और साधना का अध्ययन भी नालंदा विश्वविद्यालय में प्रमुख था। यहाँ पर तंत्र के विभिन्न सिद्धांतों और साधना विधियों का अध्ययन किया जाता था। विद्यार्थियों को तांत्रिक मंत्रों और यंत्रों का ज्ञान प्रदान किया जाता था।
  • चिकित्सा

आयुर्वेद और अन्य चिकित्सा पद्धतियों का अध्ययन नालंदा विश्वविद्यालय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। यहाँ पर विभिन्न चिकित्सा ग्रंथों का अध्ययन और चिकित्सा पद्धतियों का अभ्यास कराया जाता था। विद्यार्थियों को आयुर्वेदिक औषधियों और उपचार विधियों का ज्ञान प्रदान किया जाता था।

  • गणित और ज्योतिष

गणित और ज्योतिष का अध्ययन भी नालंदा विश्वविद्यालय में प्रमुख था। यहाँ पर गणितीय सिद्धांतों और ज्योतिष विज्ञान का गहन अध्ययन किया जाता था। विद्यार्थियों को गणितीय गणनाओं और ज्योतिषीय भविष्यवाणियों का ज्ञान प्रदान किया जाता था।

  • दर्शनशास्त्र

दर्शनशास्त्र का अध्ययन नालंदा विश्वविद्यालय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। यहाँ पर भारतीय और विदेशी दर्शनशास्त्र का गहन अध्ययन किया जाता था। विद्यार्थियों को विभिन्न दर्शनशास्त्रियों के विचारों और सिद्धांतों का ज्ञान प्रदान किया जाता था।

नालंदा विश्वविद्यालय को किसने जलाया था 

नालंदा विश्वविद्यालय को 12वीं शताब्दी में तुर्की आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने नष्ट किया था। कहा जाता है कि उसने विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में आग लगा दी थी, जो कई महीनों तक जलती रही, जिससे हजारों प्राचीन पांडुलिपियाँ और ग्रंथ नष्ट हो गए। इस घटना ने नालंदा विश्वविद्यालय की गौरवमयी शिक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर दिया और यह शिक्षा का प्रमुख केंद्र समाप्त हो गया।

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Nalanda नालंदा यूनिवर्सिटी का पुनरुद्धार

वर्तमान समय में नालंदा विश्वविद्यालय को पुनः स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं। 2010 में भारत सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित करने के लिए एक विधेयक पारित किया। 2014 में इसका औपचारिक उद्घाटन किया गया और यह विश्वविद्यालय अब आधुनिक अनुसंधान और शिक्षा के केंद्र के रूप में कार्य कर रहा है। इसके पुनरुद्धार ने इसे एक बार फिर से वैश्विक शिक्षा के केंद्र के रूप में स्थापित किया है।

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FAQ’s नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास

Q. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की थी?

Ans. नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त प्रथम ने 427 ईस्वी में की थी।

Q. नालंदा विश्वविद्यालय कहाँ स्थित है?

Ans. नालंदा विश्वविद्यालय बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित है, जो पटना से लगभग 95 किलोमीटर दूर है।

Q. नालंदा विश्वविद्यालय क्यों प्रसिद्ध है?

Ans. नालंदा विश्वविद्यालय अपनी उन्नत शिक्षा प्रणाली, विशाल पुस्तकालय, और विश्वभर के विद्वानों के लिए प्रसिद्ध था।

Q. नालंदा यूनिवर्सिटी में कौन-कौन से कोर्स पढ़ाए जाते थे?

Ans. नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध धर्म, वेद और वेदांग, व्याकरण, तंत्र, चिकित्सा, गणित और ज्योतिष, तथा दर्शनशास्त्र जैसे कोर्स पढ़ाए जाते थे।

Q. नालंदा यूनिवर्सिटी को किसने नष्ट किया था?

Ans. नालंदा विश्वविद्यालय को 12वीं शताब्दी में तुर्की आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने नष्ट किया था।

Q. नालंदा यूनिवर्सिटी का पुनरुद्धार कब हुआ?

Ans. नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार 2014 में हुआ, जब इसे आधुनिक अनुसंधान और शिक्षा के केंद्र के रूप में पुनः स्थापित किया गया।

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