Mahashivratri Kab Hai :- महाशिवरात्रि का पर्व जल्द ही आने वाला है, जिसका अंदाजा आप इससे लगा सकते है कि सभी शिवभक्त भक्ति में मगन होकर महाशिवरात्रि की जोरो शोरो से तैयारियों में लगे हुए है. बताया जाता है कि इस दिन स्वयं महादेव प्रत्येक शिवलिंग में विराजमान होते है. जिसके चलते महादेव का कोई भी भक्त महाशिवरात्रि के दिन महादेव के मंदिर जाकर उनकी आराधना और उपासना करना नही भूलता. अगर आप भी देवो के देव महादेव के परम भक्त है तो खास आपके लिए हम इस Article के जरिए Mahashivratri Kab Hai 2024 ,महाशिवरात्रि क्यों मनाया जाता है, महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त, भगवन शिव की पूजा विधि आदि के विषय में पूर्ण जानकारी प्रस्तुत करेंगे. सभी महादेव के भक्तों से निवेदन है कि आप इस Article को अंत तक पढ़कर जानकारी का लाभ ले…
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं साझा करें
महाशिवरात्रि कब है | Mahashivratri Kab Hai 2024
आइए अब हम महादेव के भक्तों को यह बताते है कि महाशिवरात्रि कब है . हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 8 मार्च को रात में 9 बजकर 57 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी कि 9 मार्च को 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी. हालांकि, भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व प्रदोष काल में होता है , इसलिए 8 मार्च को ही महाशिवरात्रि मनाई जाएगी.
शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि व्रत नियम 2024
महाशिवरात्रि 2024 पूजा मुहूर्त
वही अगर बात करे महाशिवरात्रि 2024 पूजा मुहूर्त की तो आपको बता दें कि 8 मार्च 2024 को महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की पूजा का समय शाम के समय 06 बजकर 25 मिनट से 09 बजकर 28 मिनट तक है. वही इसके अतिरिक्त चार प्रहर का मुहूर्त जो कि इस प्रकार से है :-
महाशिवरात्रि 2024 चार प्रहर मुहूर्त
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – शाम 06 बजकर 25 मिनट से रात 09 बजकर 28 मिनट तक
शिव रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – रात 09 बजकर 28 मिनट से 9 मार्च को रात 12 बजकर 31 मिनट तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – रात 12 बजकर 31 मिनट से प्रातः 03 बजकर 34 मिनट तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – प्रात: 03.34 से प्रात: 06:37
(9 मार्च 2024)निशिता काल मुहूर्त – रात में 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक
(9 मार्च 2024)व्रत पारण समय – सुबह 06 बजकर 37 मिनट से दोपहर 03 बजकर 28 मिनट तक .
महाशिवरात्रि क्यों मनाया जाता है
अधिकांश लोग यह नहीं जानते है कि महाशिवरात्रि क्यों मनाया जाता है. तो आपकी जानकारी के लिए बता दे कि एक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए यह त्योहार हर साल शिवभक्तों द्वारा काफी धूमधाम से मनाया जाता है. जो भी भक्त महाशिवरात्रि के दिन महादेव की उपासना करता है , उसकी हर मनोकामना महादेव शीघ्र ही पूर्ण करते है. महाशिवरात्रि के दिन की गई इस उपासना का फल हर भक्त को दुगुना प्राप्त होता है. यही कारण है कि इस दिन छोटे बच्चे से लेकर बड़े बूढ़े तक शिवजी की आराधना में किसी भी प्रकार की कमी नहीं छोड़ते है.
महाशिवरात्रि कब मनाया जाता है
आइए अब जानते है कि महाशिवरात्रि कब मनाया जाता है. तो हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. दरअसल महाशिवरात्रि का यह पावन पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है.यही वो दिन है जब माता पार्वती और भगवान शिव शादी के बंधन में बंधे थे.माना जाता है कि माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पाने के लिए कठोर तप किया था. और वह दिन महाशिवरात्रि का दिन था, जब शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था . यही कारण है कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करने से सुख और समृद्धि को प्राप्ति होती है. इसके साथ ही जो महाशिवरात्रि का व्रत को पवित्र मन से करता है , उस भक्त को फिर कभी कोई कष्ट छू नही पाता है.
भगवान शिव की पूजा विधि
जो भी महादेव भक्त महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर व्रत या अनुष्ठान करने जा रहे है , तो सबसे पहले आप भगवान शिव की पूजा विधि को भी समझ लीजिए .
- महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि क्रिया करके पूर्ण भाव के साथ भगवान महादेव के शिवलिंग के सामने बैठकर अपने व्रत का संकल्प लें.
- संकल्प के दौरान उपवास की अवधि पूरा करने के लिए भोलेनाथ का आशीर्वाद लें.
- इसके अतिरिक्त आप जो भी व्रत लेना चाहते है, जैसे फलाहार या निर्जला व्रत इसका भी आप भगवान महादेव के समक्ष संकल्प ले.
- ऊपर दिए गए शुभ मुहुर्त में से किसी भी मुहूर्त में आप पूजा आरंभ करे.
- अब सबसे पहले भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराएं. साथ ही केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं, इसके बाद आप वस्त्र, चंदन,गुलाल, अबीर चढ़ाए,जनेऊ चढ़ाए. अब बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे चढ़ाए,जो कि भगवान भोलेनाथ को अतिप्रिय है .
- नेवेद्य फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा आदि चढ़ाएं.
- और आखिरी में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर सभी भक्तो को महादेव का प्रसाद वितरित करे.
महाशिवरात्रि की कथा
महाशिवरात्रि के दिन महाशिवरात्रि की कथा को सुनना बेहद फलदायी होता है. जो भी शिव भक्त महाशिवरात्रि का व्रत और पूजा करते है, उन्हे महाशिवरात्रि की कथा को पढ़ना और सुनना बहुत आवश्यक है.
शिव पुराण की कथा के अनुसार, एक गांव में एक शिकारी था, जो पशुओं को शिकार करके अपना घर परिवार चलाता था. वह गांव के ही एक साहूकार का कर्जदार था. वह काफी प्रयासों के बाद भी कर्ज से मुक्त नहीं हो पा रहा था. एक दिन क्रोधित होकर साहूकार ने उसे शिवमठ में बंदी बना लिया. उस दिन शिवरात्रि थी.
शिकारी उस दिन शिवरात्रि की कथा को सुना. शाम के समय में उसे साहूकार के सामने पेश किया गया तो शिकारी ने वचन दिया कि अगले दिन वह सभी कर्ज को चुकाकर मुक्त हो जाएगा. तब उसे साहूकार ने छोड़ दिया. शिकारी वहां से जंगल में गया और शिकार की तलाश करने लगा. वह एक तालाब के किनारे पहुंचा. वहां पर वह एक बेल के पेड़ पर अपना ठिकाना बनाने लगा. उस पेड़ के नीचे एक शिवलिंग था, जो बेलपत्रों से ढंका हुआ था. उसे इस बात की जानकारी न थी.
बेल वृक्ष की टहनियों को तोड़कर वह नीचे फेंकता गया और बेलपत्र उस शिवलिंग पर गिरते गए. वह भूख प्यास व्याकुल था. अनजाने में उससे शिव पूजा हो गई. दोपहर तक वह भूखा ही रहा. रात में एक गर्भवती हिरण तालाब में पानी पीने आई. तभी शिकारी उसे मारने के लिए धनुष-बाण तैयार कर लिया. उस हिरण ने कहा कि वह बच्चे को जन्म देने वाली है, तुम एक साथ दो हत्या न करो. बच्चे को जन्म देकर तुम्हारे पास आ जाऊंगी, तब तुम शिकार कर लेना. यह सुनकर शिकारी ने उसे जाने दिया.
कुछ देर बाद एक और हिरण आई तो शिकारी उसका शिकार करने को तैयार हो गया. तभी उस हिरण ने कहा कि वह अभी ऋतु से मुक्त हुई है, वह अपने पति की तलाश कर रही है क्योंकि वह काम के वशीभूत है. वह जल्द ही पति से मिलने के बाद शिकार के लिए उपस्थित हो जाएगी. शिकारी ने उसे भी छोड़ दिया.
देर रात एक हिरण अपने बच्चों के साथ उस तालाब के पास आई. शिकार एक साथ कई शिकार देखकर खुश हो गया. वह शिकार करने के लिए तैयार हो गया, तभी उस हिरण ने कहा कि वे अपने बच्चों के साथ इनके पिता की तलाश कर रही है, जैसे ही वो मिल जाएंगे तो वह शिकार के लिए आ जाएगी. इस बार शिकारी उन्हें छोड़ना नहीं चाहता था, लेकिन उस हिरण ने शिकारी को उसके बच्चो का हवाला दिया तो उसने उसे जाने दिया.
अब शिकारी बेल वृक्ष पर बैठकर बेलपत्र तोड़कर नीचे फेंकते जा रहा था. अब सुबह होने ही वाली थी. तभी वहां एक हिरण आया. शिकार उसे मारने के लिए तैयार था, लेकिन हिरण ने कहा कि इससे पहले तीन हिरण और उनके बच्चों को तुमने मारा है, तो उसे भी मार दो क्योंकि उनका वियोग सहन नहीं होगा. यदि उनको जीवन दान दिया है तो उसे भी छोड़ दो, परिवार से मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाऊंगा.
रातभर उपवास, रात्रि जागरण और अनजाने में बेलपत्र से शिवलिंग की पूजा के प्रभाव से शिकारी दयालु हो गया था. उसने हिरण को भी जाने दिया. उसके मन में भक्ति की भावना प्रकट हो गई और वह पुराने कर्मों को सोचकर पश्चाताप करने लगा. तभी उसने देखा कि हिरण का पूरा परिवार शिकार के लिए उसके पास आ गया. यह देखकर वह और करुणामय हो गया और रोने लगा. उस शिकारी ने हिरण परिवार को जीवन दान दे दिया और स्वयं हिंसा को छोड़कर दया के मार्ग पर चलने लगा. शिव कृपा से वह शिकारी तथा हिरण का परिवार मोक्ष को प्राप्त हुआ.