Online Service in Hindi

Online Dekho

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व : जानिए आध्यात्मिक व धार्मिक महत्व क्या है

महाशिवरात्रि हर साल फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी को धूमधाम से मनाई जाती है. इस दिन केवल अपने भारत देश में ही नहीं अपितु विदेशो में भी भगवान महादेव की पूजा आराधना की जाती है. महाशिवरात्रि का दिन देवो के देव महादेव और आदिशक्ति पार्वती को समर्पित है. महाशिवरात्रि के दिन ही शिव शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था. यह पर्व धार्मिक महत्व रखने के साथ साथ वैज्ञानिक महत्व भी रखता है. तो आइए हम आपको इस Article के जरिए महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व, आध्यत्मिक व धार्मिक महत्व से जुड़ी कई खास जानकारियां उपलब्ध करवाने जा रहे है. महादेव के सभी भक्तो से निवेदन है कि अधिक जानकारी के लिए आप इस Article को अंत तक जरूर पढ़े.

शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि व्रत नियम

महाशिवरात्रि का महत्व 

इस साल महाशिवरात्रि 8 मार्च 2024 को मनाई जाएगी. हर साल की तरह इस बार भी सभी शिव भक्त महाशिवरात्रि पर्व के लिए जोरो शोरो से तैयारियों में जुट गए है. छोटे-बड़े और बूढ़े सभी साधक महाशिवरात्रि के पर्व पर व्रत और उपवास रखते है. खासकर हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का महत्व अत्यधिक है. शिवभक्त इस दिन भगवान शिव की शादी का उत्सव मनाते है. माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही शिवजी आदिशक्ति पार्वती के साथ हुई थी. साथ ही इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था.

Mahashivratri Ka Vaigyanik Mahatv

शिव पूजा मुहूर्त, विधि तथा शिवरात्रि कथा पढ़ें

शिवरात्रि पर प्राकृतिक परिवर्तन 

वही अगर बात करे शिवरात्रि पर प्राकृतिक परिवर्तन के बारे में तो आपको बता दे कि शिव का प्राकृतिक दुनिया से बहुत ही गहरा संबंध है. यह संबंध आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टिकोणों से पर्यावरणवाद और स्थिरता के महत्व को पुष्ट करता है. एक धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव को प्रकृति पुरुष भी कहा जाता है.इसलिए मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर प्रकृति मनुष्य को परमात्मा से जोड़ती है. प्राकृतिक दुनिया के निहित मूल्य और जीवन को बनाए रखने में इसकी भूमिका को पहचान कर, व्यक्ति और संगठन भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए कार्यवाही कर सकते हैं. हमें सभी जीवित प्राणियों और पर्यावरण की परस्पर संबद्धता को पहचानना और उसकी रक्षा करनी चाहिए. इस महाशिवरात्रि पर हम भगवान् शिव के सामने पृथ्वी और उसके पर्यावरण को सुरक्षित करने का संकल्प लें.

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं साझा करें 

महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व क्या है 

अब आइए हम बताते है आपको महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व क्या है .तो महाशिवरात्रि की रात ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस तरह स्थित होता है कि इंसान के अंदर की ऊर्जा अपने आप ऊपर की तरफ जाने लगती है. यानी कि प्रकृति इंसान को आध्यात्मिक शिखर तक जाने में सहायता करती है.और व्यक्ति एक सुपर नेचर पावर का एहसास महसूस करते है. ताकि इसका पूर्ण लाभ लोगों को मिल सके , इसलिए महाशिवरात्रि की रात्रि में जागरण करने व रीढ़ की हड्डी सीधी करके ध्यान मुद्रा में बैठने की बात कही गई है.

महाशिवरात्रि का आध्यत्मिक महत्व

अब बात करते महाशिवरात्रि का आध्यत्मिक महत्व के बारे में , महाशिवरात्रि एक ऐसा पर्व है जिसमे सभी साधक देवो के देव महादेव की भक्ति में पूरी तरह रम जाते है. इस पर्व पर भगवान महादेव के लिए हर भक्त व्रत और उपवास रखते हैं. भोलेनाथ के हर मंदिर में ढोल नगाड़े बजाकर पूजा आराधना होती है. माना जाता है कि भगवान् शिव इस दिन हर एक ज्योतिर्लिंग में स्वयं विद्यमान होते है .जो दूर दूर से आए भक्तो की हर मनोकामना पूर्ण करते है.भगवान् भोले स्वयं ऊर्जा के स्त्रोत हैं , इस पर्व पर भक्तों पर भगवान शिव अपना आशीर्वाद बनाये रखते हैं. सभी भक्तों में इस दिन अध्यात्म रुचि का विस्तार देखने को मिलता है. अध्यात्म को जानना और अध्यात्म को पढ़ना तथा आध्यात्मिक के बारे में चर्चा करने से व्यक्ति के आध्यात्मिक चेतन का विकास होता है मान और दिमाग में नयी ऊर्जा का संचार होता है.

महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं 

महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व

अगर महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व की बात करें तो महाशिवरात्रि की रात को शिव और माता पार्वती के विवाह की रात मानी जाती है. इस दिन ही शिव भगवान  ने वैराग्य जीवन से गृहस्थ जीवन की ओर कदम रखा था. महाशिवरात्रि शिव और पार्वती माता के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी. माना जाता है कि जो भी भक्त महाशिवरात्रि की रात्रि में जागरण करता है, उन भक्तो पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है. इस दिन व्रत, उपवास, मंत्रजाप तथा रात्रि जागरण का अपना खास महत्व है.वही इस पर्व पर देशभर के सभी ज्योतिर्लिंगों और शिवालयों में शिव भक्तों की भारी भीड़ होती है. यहां शिवलिंग का जलाभिषेक विधि विधान के रूप में किया जाता है. 

Leave a Comment