एम.एस. स्वामीनाथन का जीवन:- आपने हमारे देश की एक महान शक्सियत MS Swaminathan का नाम कही न कही तो जरुर सुना होगा. वैसे आपको बता दे कि हाल ही में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि एमएस स्वामीनाथन को भारत की हरित क्रांति का जनक भी कहा जाता है. तो आइए इस Article के जरिए हम आपको एमएस स्वामीनाथन का जीवन परिचय (M.S. Swaminathan Biography in Hindi) के बारे में सभी अहम जानकारियां उपलब्ध करवाने जा रहे है. इनके बारे में जानने के लिए आप इस Article को अंत तक जरूर पढ़े…
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M.S. Swaminathan कौन है?
आइए अब हम आपको बताते है कि आखिर MS Swaminathan कौन है? MS Swaminathan का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंबकोणम में हुआ था.इनका पूरा नाम मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन था. MS Swaminathan की पत्नी का नाम मीना था और उनकी तीन बेटियां है ,जिनका नाम सौम्या, मधुरा और नित्या है.ये भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में 1972 से 1979 तक और अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में 1982 से 1988 तक महानिदेशक रहे. एम.एस. स्वामीनाथन जूलॉजी, और एग्रीकल्चर दोनो में ग्रेजुएट थे. इसी के साथ आपको यह भी बता दे कि भारत की हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले M S swaminathan ने बीते साल ही 98 साल की उम्र में चेन्नई में अपनी अंतिम सांसे ली.
M.S. Swaminathan Biography in Hindi
एम.एस. स्वामीनाथन का पुरा नाम | मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन |
Nick Name | एम एस स्वामीनाथन |
जन्म तिथि | 7 अगस्त 1925 |
मृत्यु तिथि | 28 सितंबर 2023 |
जन्मस्थान | कुंभकोणम ( तमिलनाडु ) |
Qualification | कृषि में स्नातक |
School | कैथोलिक लिटिल फ्लावर हाई स्कूल – कुंभकोणम ( तमिलनाडु ) |
Collage | कोयंबटूर कृषि कॉलेज, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
पत्नी | मीरा स्वामीनाथन |
बच्चे | तीन बेटियां |
हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन
हरित क्रांति के जनक एम एस स्वामीनाथन ने दो कृषि मंत्रियों जगजीवन राम और सी सुब्रमण्यम के साथ मिलकर देश में हरित क्रांति लाने का काम किया. हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था, जिसने कैमिकल जैविक तकनीक के उपयोग से धान और गेहूं के उत्पादन में भारी मुनाफा लाने का काम किया. देश के किसानों की स्थिति सुधारने के लिए एमएस स्वामीनाथन ने सरकार के सामने एक रिपोर्ट पेश की थी. इस रिपोर्ट को स्वामीनाथन रिपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है. इस रिपोर्ट में सरकार को किसानों की स्थिति बेहतर करने के कई हिदायत उन्होंने दी थी.
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एमएस स्वामीनाथन की शिक्षा
वही अगर बात करे एमएस स्वामीनाथन की शिक्षा के बारे में.तो आपको बता दे कि M S Swaminathan के बचपन से ही पिता का साया उठ चुका था. इसके बाद इनके चाचा ने इनको संभाला. स्वामीनाथन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कुंभकोणम के कैथोलिक लिटिल फ्लावर school से की, महज 15 साल की उम्र में ही उन्होंने मैट्रिक पास कर लिया. साल 1940 में केरल के महाराजा कॉलेज में उन्होंने स्नातक की शिक्षा ग्रहण करने के लिए प्रवेश लिया और वहां से इन्होंने जूलॉजी में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की. इसके पश्चात कृषि की खराब स्थिति को देखते हुए उन्होने एग्रीकल्चर क्षेत्र की ओर रुख किया. एग्रीकल्चर के लिए इन्होंने मद्रास के एग्रीकल्चर कॉलेज में admission लिया और वहा से इन्होंने B.SC में अपना graduation पूरा किया. इसके बाद इनको Bachelor of science की डिग्री मिल पाई.
MS Swaminathan की उपलब्धियां
अब आइए एक नजर डालते है MS Swaminathan की उपलब्धियां क्या रही इस बारे में भीं. जो कि इस प्रकार निम्लिखित है:
- शिक्षा ग्रहण करने के बाद M S स्वामीनाथन Research में लग गए ,कि किस तरह से कृषि में पैदावार को बढ़ाया जा सके. स्वामीनाथन ने अंतरराष्ट्रीय संस्थान में जापानी और भारतीय किस्म पर Research किया है.
- 1954 से 1972 तक स्वामीनाथन ने कटक तथा पूसा स्थित प्रतिष्ठित कृषि संस्थानों में एमएस स्वामीनाथन ने सराहनीय कार्य किया. साथ ही साथ प्रशासनिक दायित्व को भी बखूबी निभाया जिसके लिए 1963 में हेग में हुई अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष भी बनाए गए.
- भारत एक कृषि प्रधान देश है परंतु 1964 से 70 के दौर में काफी कम पैदावार होने के कारण भारत में धान का उत्पादन बहुत ही कम हो रहा था. जिसके कारण यहां भुखमरी की हालत होने लगी थी क्योंकि जिंतनी जनसंख्या थी उसके अनुसार उपज नही हो रही थी.
- वही 1966 में जेनेटिक्स वैज्ञानिक स्वामीनाथ ने भारत के बीजो को विदेशी बीजो की किस्म के साथ मिश्रित करके उच्च उत्पादकता वाले गेहूं के संकर बीज विकसित किए. स्वामीनाथन का ये प्रयास सफल रहा और पहले ही वर्ष देशभर में काफी अधिक पैदावार हुई.
- 1969 में डॉ. स्वामीनाथन इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी के सचिव बनाए गए साथ वे इसके फेलो Member भी बने.
- 1972 में भारत सरकार ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान परिषद का महानिदेशक नियुक्त किया.साथ ही उन्हें भारत सरकार में सचिव भी नियुक्त किया.
- 1979 से 1980 तक वे मिनिस्ट्री ऑफ़ एग्रीकल्चर फ़ॉर्म के प्रिंसिपल सेक्रेटरी भी बने. 1982 से 88 तक उन्होंने जनरल डायरेक्टर के पद पर रहते हुए इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट की सेवा भी की.
- इसके साथ ही उन्होंने विदेशी और भारत के बीजो की किस्मों के मिश्रण को भी जारी रखा. इस बार उन्होंने पिछली बार से भी ज्यादा उन्नत किस्म के बीज की उपज करके अन्न के उत्पादन को कई गुना बढ़ा दिया और देश में हरित क्रांति लेकर आए. जिससे देश में सभी जगह से अन्न की समस्या ही खत्म हो गई.
- एग्रीकल्चर के क्षेत्र में अपने आप को आगे बढ़ाने के लिए इन्होंने मद्रास के एग्रीकल्चर कॉलेज में admission लिया और वहा से इन्होंने बीएससी में अपना ग्रेजुएशन पूरा किया, जिसके बाद इन्हें बैचलर ऑफ़ साइंस की उपाधि मिली।
- फिर 1949 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से जेनेटिक्स में एसोसिएटशिप की डिग्री प्राप्त की और 1952 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अनुवांशिकी में PHD की. ये सब करने के बाद भी इन्होंने अपने स्तर पर काफी अध्यन किया और कृषि क्षेत्र में काफी योगदान दिया.
MS Swaminathan को मिले अब तक पुरस्कार
क्या आप हरित क्रांति के जनक MS Swaminathan को मिले अब तक पुरस्कार के बारे में जानते है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि हाल ही में मोदी सरकार द्वारा एम एस स्वामीनाथ को भारत रत्न देने की घोषणा की गई है. कृषि में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिये उन्हें कई पुरस्कार से नवाजा गया है, जिसमें वर्ष 1987 में प्रथम विश्व खाद्य पुरस्कार विजेता के रूप में उन्हें सम्मानित किया गया. वही उन्हें नोबल पुरुस्कार, पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण जैसे सम्मान से भी नवाजा जा चुका है. रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (1971) और अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार (1986) सहित कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मान भी इन्हे मिल चुके है.
MS Swaminathan भारत रत्न
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (9 फरवरी) को यह घोषणा की है कि भारत में ‘हरित क्रांति’ के जनक माने जाने वाले दिवंगत कृषि वैज्ञानिक मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. इसी के साथ PM Modi ji ने social media प्लेटफॉर्म X पर एमएस स्वामीनाथन के साथ एक तस्वीर भी share की है.
MS Swaminathan भारत रत्न देने की घोषणा के साथ ही कहते कि” वह एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें वह करीब से जानते थे. वह” हमेशा दिवंगत वैज्ञानिक के मूल्यों को महत्व देते हैं. प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “यह बेहद खुशी की बात है कि भारत सरकार देश में कृषि और किसानों के कल्याण में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है. उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.”
एम.एस. स्वामीनाथन की प्रमुख किताबें
आइए अब हम जानते है एम.एस. स्वामीनाथन की प्रमुख किताबें के बारे में . Ms swaminathan द्वारा लिखी गई किताबें कुछ इस प्रकार निम्लिखित है:
- गेहूं क्रांति: एक संवाद (1993)
- सतत कृषि: खाद्य सुरक्षा की ओर किसानों के अधिकार और पौधों के आनुवंशिक संसाधन: एक संवाद (1995)
- कृषि जैव विविधता और किसानों के अधिकार (1996)
- जेंडर डाइमेंशन्स इन बायोडायवर्सिटी मैनेजमेंट (1998)
- आई प्रेडिक्ट: ए सेंचुरी ऑफ होप टुवर्ड्स एन एरा ऑफ हार्मोनी विद नेचर एंड फ्रीडम फ्रॉम हंगर (1999)
- एन एवरग्रीन रिवोल्यूशन (2006)
FAQ’s M.S. Swaminathan Biography in Hindi
Q. एम.एस. स्वामीनाथन का जन्म कब हुआ?
Ans एम.एस. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को हुआ.
Q.; मोदी सरकार द्वारा MS Swaminathan को भारत रत्न देने की घोषणा कब की?
Ans मोदी सरकार द्वारा MS Swaminathan को भारत रत्न देने की घोषणा 9 फरवरी को की है.
Q.एम.एस. स्वामीनाथन को किस नाम से जाना जाता है?
Ans एम.एस. स्वामीनाथन को हरित क्रांति के जनक कहा जाता है.