हर साल की तरह इस साल भी होली को लेकर लोगो में काफी उत्साह नज़र आ रहा है . इस दिन पूरा देश अनेक रंगों और गुलाल से सरोबार रहता है. हर कोई होली के शुभ अवसर पर एक दूसरे के घर जाकर सभी गिले शिकवे भूलकर रंगो भरी होली मनाते है. हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाती है. अब आप में से बहुत लोग यह जानना चाहते होंगे कि होली क्यों मनाई जाती है. तो इस Article के माध्यम से हम आपको होली क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है , इससे जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध करवाने जा रहे है. तो आइए जाने इस पावन त्यौहार के बारे में …
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होली क्यों मनाया जाता है
अब आइए जानते है कि होली क्यों मनाते हैं. दरअसल शास्त्रों में बताया गया है कि होली का त्योहार राधा कृष्ण के पवित्र प्रेम से जुड़ा हुआ है. पौराणिक समय में श्री कृष्ण और राधा की बरसाने की होली के साथ ही होली के उत्सव की शुरुआत हुई. आज भी बरसाने और नंदगाव की लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है.
वही होली पर्व के साथ एक कथा और भी जुड़ी है ,शिवपुराण के अनुसार ,हिमालय की पुत्री पार्वती शिव से विवाह हेतु गौर तपस्या कर रहीं थीं और शिव भी अपनी तपस्या में लीन थे. इंद्र का भी शिव पार्वती विवाह में स्वार्थ छिपा था कुल ताड़कासुर का वध शिव पार्वती के पुत्र द्वारा होना था,इसी वजह से इंद्र आदि देवताओं ने कामदेव को शिवजी की तपस्या भंग करने भेजा. भगवान भोलेनाथ की समाधि को भंग करने के लिए कामदेव ने उन पर अपने ‘पुष्प’ वाण से प्रहार किया था.
उस वाण से शिव के मन में प्रेम और काम का संचार होने के कारण उनकी समाधि भंग हो गई.इससे शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोल कामदेव को भस्म कर दिया. शिवजी की तपस्या भंग होने के बाद देवताओं ने शिवजी को पार्वती से विवाह के लिए राज़ी कर लिया. इसके बाद कामदेव की पत्नी रति को अपने पति के पुनर्जीवन का वरदान और शिवजी का पार्वती से विवाह का प्रस्ताव स्वीकार करने की खुशी में देवताओं ने इस दिन को उत्सव की तरह मनाया गया और सबसे बड़ी बात तो यह कि यह दिन फाल्गुन पूर्णिमा का ही दिन था. इस कथा के अनुसार काम की भावना को प्रतीकात्मक रूप से भस्म कर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता है.
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होली का महत्व
अब हम आपको होली का महत्व के बारे में जानकारी देंगे.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होली पर्व बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना गया है. होली ही एक ऐसा त्यौहार जिस दिन लोग अपने सभी मतभेद को भूलकर एक दूसरे को रंग लगाते है. होली के यह विविध रंग लोगो में प्यार और सौहार्द के प्रतीक है . इस दिन नारायण और अन्य कई देवी देवताओं पूजा विधि विधान से की जाती है. होली दहन के साथ हो मन में भरी नकारात्मकता भी कोसो दूर चली जाती है. वही इसी के साथ ही साथ सुख समृद्धि आपके घर में प्रवेश करती है .
होली पर भक्त प्रह्लाद की कथा
होली पर भक्त प्रह्लाद की कथा का अपना ही एक अलग महत्व है. होली की कथा भक्त प्रह्लाद से जुडी हुई है. दरअसल शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन खास तौर पर भक्त प्रह्लाद की याद में किया जाता है. एक पौराणिक कथा के अनुसार भक्त प्रह्लाद का जन्म राक्षस कुल यानी कि हिरण्यकश्यप के घर में जाए थे . लेकिन वह भगवान नारायण के परम भक्त थे. उनके पिता हिरण्यकश्यप को उनकी नारायण के प्रति आस्था रास नहीं आई , जिसके चलते हिरण्यकश्यप ने अपने ही पुत्र प्रह्लाद को अनेकों संताप दिए. एक दिन हिरण्यकश्यप को उनकी बहन होलिका का खयाल आया, जिसे एक वरदान था कि उसे अग्नि कभी भी नही जला सकती .
हिरण्यकश्यप को एक युक्ति सूझी, हिरण्यकश्यप ने होलिका और प्रह्लाद को एक साथ अग्नि में बिठाया . होलिका भक्त प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई. लेकिन नारायण की कृपा से भक्त प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं हुआ. लेकिन होलिका पूरी तरह से उस अग्नि में स्वाहा हो गई. तो यही कारण है कि बुराई पर अच्छाई का प्रतीक और शक्ति पर भक्ति की जीत की ख़ुशी में होली पर्व मनाया जाने लगा .इसके साथ ही साथ यह त्योहार यह भी बताता है कि आपको हमेशा काम,क्रोध, लोभ आदि को त्याग कर भगवान की भक्ति में मन लगाना चाहिए.
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