Guru Purnima Katha 2024: आप सभी को गुरु पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ! आषाढ़ पूर्णिमा के शुभ दिन मनाया जाने वाला गुरु पूर्णिमा का पर्व, ज्ञान, प्रेरणा और कृतज्ञता का त्रिवेणी संगम है। यह पर्व न केवल गुरु-शिष्य परंपरा का सम्मान करता है, बल्कि ज्ञान के प्रकाश को आगे बढ़ाने और जीवन में सद्गुरु के मार्गदर्शन का महत्व भी समझाता है। इस Guru Purnima के पावन अवसर पर, आइए हम गुरु पूर्णिमा की कथा, महत्व, उत्सव और गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के तरीकों पर एक नजर डालें। चलिए पढ़ते है Guru Purnima Katha 2024
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गुरु पूर्णिमा की कथा | Guru Purnima Katha 2024
एक समय की बात है, जब धरती पर ज्ञान का अंधकार छाया हुआ था। वेदों की शिक्षाएँ बिखरी हुई थीं, और लोगों के मन में भ्रम और अज्ञानता का साम्राज्य था। इस अंधकार को दूर करने के लिए, भगवान विष्णु ने अपने अंश को धरती पर भेजा – महर्षि वेदव्यास। वेदव्यास जी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, लेकिन उनके मन में ज्ञान की प्यास अथाह थी। बचपन से ही वे ज्ञान की खोज में लगे रहते थे। उनकी माता सत्यवती ने उन्हें घर में रहने को कहा, लेकिन वेदव्यास जी का मन वन में तपस्या करने को उद्यत था। उन्होंने अपनी माता से हठ किया और वन में तपस्या करने चले गए। वहाँ उन्होंने कठोर तपस्या की, और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर देवता उन्हें ज्ञान का वरदान देने आए। वेदव्यास जी ने इस ज्ञान का उपयोग करके वेदों का संकलन किया, और उन्हें चार भागों में विभाजित किया।
वेदव्यास जी ने केवल वेदों का संकलन ही नहीं किया, बल्कि उन्होंने महाभारत, अठारह महापुराणों और ब्रह्मास्त्र की रचना भी की। उनकी शिक्षाओं ने लोगों के जीवन में प्रकाश भर दिया, और उन्होंने उन्हें ज्ञान और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने का मार्ग दिखाया। वेदव्यास जी की तपस्या और ज्ञान से प्रसन्न होकर देवताओं ने उन्हें अमरता का वरदान दिया। आज भी, वे किसी न किसी रूप में हमारे बीच मौजूद हैं, और हमें ज्ञान और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने का मार्गदर्शन करते हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन, हम वेदव्यास जी को याद करते हैं, और उनके ज्ञान और शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं।
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गुरु पूर्णिमा के भजन लिरिक्स | Guru Purnima Bhajan Lyrics
१. हमारे गुरु पूर्ण दातार। Hamare Guru Puran Daataar
हमारे गुरु पूर्ण दातार।
अभय दान दीनन को दीने, कीने भवजल पार।
1. जन्म-जन्म के बंधन काटे, कीन्हे यम से निकार,
रंकहुं ते राजा कीन्हे, हरि धन दियो अपार।
2. देवे ज्ञान भक्ति गुण देवे, योग बतावन हार,
तन मन वचन सकल सुखदायी, हृदय बुद्धि उजियार।
3. सब दुखभंजन पातकभंजन, रंजन ध्यान अपार,
साजन दुर्जन जो चल आवे, एक ही दृष्टि निहार।
4. आनन्द रूप स्वर्गमयी है, लिपत नहीं संसार,
चरणदास गुरु सहजो के रे, नमो नमो बारम्बार।
2. छोड़ कर संसार जब तू जाएगा लिरिक्स
छोड़ कर संसार जब तू जाएगा,
कोई ना साथी तेरा साथ निभाएगा।
गर प्रभु का भजन किया ना, सत्संग किया ना दो घड़ियाँ,
यमदूत लगा कर तुझको ले जाएगा हथकडिया।
कौन छुडाएगा, कोई ना साथी तेरा साथ निभाएगा॥
इस पेट भरण की खातिर तू पाप कमाता निसदिन,
समसान में लकड़ी रख कर तेरे आग लगेगी इकदिन।
ख़ाक हो जाएगा, कोई ना साथी तेरा साथ निभाएगा॥
सत्संग की गंगा है यह, तू इस में लगाले गोता,
वरना संसार से इकदिन जाएगा तू भी रोता।
फिर पछतायेगा, कोई ना साथी तेरा साथ निभाएगा॥
क्यूँ करता तेरा मेरा, यह दुनिया रैन बसेरा,
यहाँ कोई ना रहने पाता, है चंद दिनों का डेरा।
हंस उड़ जाएगा, कोई ना साथी तेरा साथ निभाएगा॥
आ सतगुरु शरण में प्यारे, तू प्रीत लगाले बन्दे,
कट जायेंगे यह तेरे जनम जनम के फंदे।
पार हो जाएगा, कोई ना साथी तेरा साथ निभाएगा॥
3. गुरु वचनों को रखना संभाल के भजन लिरिक्स
गुरु वचनो को रखना सँभाल के इक इक वचन में गहरा राज़ है,
जिसने जानी है महिमा गुरु की उसका डूबा कभी न जहाज़ है
दीप जले और अंधेरा मिटे न ऐसा कभी नहीं हो सकता,
ज्ञान सुने और विवेक न जागे ऐसा कभी नहीं हो सकता
जिसकी रोशनी से रोशन जहान है वो फरिश्ता बड़ा ही महान है,
जिसने जानी है महिमा गुरु की उसका डूबा कभी न जहाज़ है ॥
बीज पड़े और अंकुर न फूटे ऐसा कभी नहीं हो सकता,
कर्म करे और फल न भोगे ऐसा कभी नहीं हो सकता
कर्म करने को तूँ होशिआर है फल भोगने में बड़ा ही लाचार है,
जिसने जानी है महिमा गुरु की उसका डूबा कभी न जहाज़ है ॥
ठोकर लगे सतगुर न संभाले ऐसा कभी नहीं हो सकता,
जब हम पुकारे और वो न आए ऐसा कभी नहीं हो सकता
उसके हाथों में सौंप दे हाथ तूँ वो तो अंग संग तेरे साथ है,
जिसने जानी है महिमा गुरु की उसका डूबा कभी न जहाज़ है ॥
गुरु परिपूर्ण समर्पित तूँ हो जा धोखा कभी नहीं खा सकता,
लक्ष्मण रेखा सतसंग की हो तो रावण कभी नहीं आ सकता
अब तो हर पल होता आभास है गुरु सदा ही हमारे साथ है,
जिसने जानी है महिमा गुरु की उसका डूबा कभी न जहाज़ है ॥
गुरु वचनो को रखना सँभाल के इक इक वचन में गहरा राज़ है,
जिसने जानी है महिमा गुरु की उसका डूबा कभी न जहाज़ है
4. मेरा कोई ना सहारा बिन तेरे गुरुदेव सांवरिया मेरे लिरिक्स
मेरा कोई ना सहारा बिन तेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे,
मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे ॥
तेरे बिना मेरा है कौन यहाँ,
प्रभु तुम्हे छोड़ मैं जाऊँ कहाँ,
मैं तो आन पड़ा हूँ दर तेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे,
मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे ॥
मैंने जनम लिया जग में आया,
तेरी कृपा से ये नर तन पाया,
तूने किये उपकार घनेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे,
मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे ॥
मेरे नैना कब से तरस रहे,
सावन भादो है बरस रहे,
अब छाए घनघोर अँधेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे,
मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे ॥
प्रभु आ जाओ प्रभु आ जाओ,
अब और ना मुझको तरसाओ,
काटो जनम मरण के फेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे,
मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे ॥
जिस दिन से दुनिया में आया,
मैंने पल भर चैन नहीं पाया,
सहे कष्ट पे कष्ट घनेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे,
मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे ॥
मेरा सच्चा मारग छूट गया,
मुझे पांच लुटेरों ने लूट लिया,
मैंने यतन किये बहुतेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे,
मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे ॥
मेरे सारे सहारे छूट गए,
तुम भी गुरु मुझसे रूठ गए,
आओ करने दूर अँधेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे,
मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे ॥
मेरा कोई ना सहारा बिन तेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे,
मेरा कोई न सहारा बिन तेरे,
गुरुदेव सांवरिया मेरे ॥
5. गुरु मेरी पूजा गुरु गोविंद लिरिक्स
गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद
गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत
गुरु मेरा देव अलख अभेव
सरब पूज्य, चरण गुरु सेवू
गुरु बिन अवर नहीं मैं थाओ
अन दिन जपो, गुर गुर नाओ
गुरु मेरा ग्यान, गुरु रिदे धयान
गुरु गोपाल पुरख भगवान्
गुरु की सरन रहूँ कर जोर
गुरु बिना मैं नाही होर
गुरु बोहित तारे भव पार
गुरु सेवा ते यम छुटकार
अन्धकार में गुरु मन्त्र उजारा
गुरु कै संग सगल निस्तारा
गुरु पूरा पाईये वडभागी
गुरु की सेवा दुःख ना लागी
गुरु का सबद ना मेटे कोई
गुरु नानक नानक हर सोए
गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद
गुरु मेरा पारब्रह्म, गुरु भगवंत
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गुरु महिमा पर लघु कथा
प्राचीन समय की बात है, एक छोटे से गांव में रामू नाम का एक गरीब लड़का रहता था। उसका सपना था कि वह बड़ा आदमी बने और अपने परिवार को गरीबी से बाहर निकाले। लेकिन उसके पास शिक्षा के लिए साधन नहीं थे। गांव में एक ज्ञानी गुरु, आचार्य श्रीकांत, रहते थे। उनकी विद्वत्ता की दूर-दूर तक चर्चा थी।
रामू ने सुना कि आचार्य श्रीकांत किसी भी योग्य विद्यार्थी को बिना शुल्क के शिक्षा देते हैं। एक दिन रामू ने हिम्मत जुटाकर आचार्य श्रीकांत के आश्रम में प्रवेश किया और विनम्रता से कहा, “गुरुदेव, मैं शिक्षा प्राप्त करना चाहता हूँ, पर मेरे पास धन नहीं है। क्या आप मुझे ज्ञान प्रदान करेंगे?”
आचार्य श्रीकांत ने रामू की आँखों में सच्चाई और ज्ञान की भूख देखी। उन्होंने कहा, “ज्ञान के लिए धन की आवश्यकता नहीं होती, केवल समर्पण और मेहनत चाहिए।” रामू ने गुरु के चरणों में प्रणाम किया और उनकी सेवा में लग गया।
दिन-रात की मेहनत और गुरु के स्नेह व मार्गदर्शन से रामू ने अद्भुत प्रगति की। कुछ वर्षों में वह एक विद्वान बन गया और अपने ज्ञान से न केवल अपना बल्कि अपने गांव का भी उद्धार किया। उसने अपने गुरु के आदर्शों का पालन करते हुए शिक्षा का प्रसार किया और गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाना शुरू किया।
आखिरकार, रामू ने अपने गुरु आचार्य श्रीकांत को समर्पित एक विद्यालय की स्थापना की, जहां हर बच्चे को समान शिक्षा का अधिकार मिलता था। रामू के इस कार्य ने साबित कर दिया कि सच्चे गुरु की कृपा और सही मार्गदर्शन से किसी भी व्यक्ति का जीवन संवर सकता है।
इस तरह, गुरु की महिमा और उनके सच्चे शिष्य के बीच का यह संबंध सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बना।