अरुण योगीराज कौन है:- कई युगों और प्रतीक्षा के बाद आखिरकार यह दिनांक 22 जनवरी 2024 इतिहास के पन्नो पर स्वर्णिम अक्षरों में लिखी जाएगी. जी हां इसी दिनांक को अयोध्या में श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ है. पूरा देश आज राममय और भाव विभोर हो चुका है. वही दूसरी और अयोध्या में विराजे राम लला की भव्य मूर्ति आकर्षण के केंद्र बन रही है .आप भी यह जरूर जानना चाहते होंगे कि आखिर किस मूर्तिकार ने इतनी सुंदर मूर्ति को बनाया है. तो आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अयोध्या में विराजमान 5 साल के प्रभु श्री राम लला के मूर्तिकार और कोई नही बल्कि Arun yogiraj ही है .
लेकिन अधिकांश लोग इन्हें नहीं जानते हैं, तो इस Article के जरिए हम आपको अरुण योगीराज बायोग्राफी के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाने जा रहे. Arun yogiraj Biography से जुड़ी जानकारियां प्राप्त करने के लिए आप इस Article को अंत तक जरूर पढ़े ..
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अरुण योगीराज कौन है?
अयोध्या में विराजे राम लला की मूर्ति को देख कर हर कोई भावमुग्ध हो गया है. आपको बता दे कि अरुण योगीराज के लिए साल का यह दिन यानी कि 24 जनवरी 2024 बहुत खास और महत्वपूर्ण है . क्योंकि इसी दिन श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने उनकी बनाई मूर्ति को श्री राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित करने के लिए चुना है. सभी यह जानना चाहते हैं कि आखिर अरुण योगीराज कौन है ? तो आपको बता दे कि राम मंदिर में राम लला की मूर्ति के कलाकार अरुण योगिराज है. 37 वर्षीय अरुण योगीराज कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज शिल्पी के बेटे हैं. यही नहीं अरुण योगीराज के पिता को वाडियार घराने के महलों में खूबसूरती देने के लिए भी जाना जाता है.
Article Name | अरुण योगीराज बायोग्राफी |
पूरा नाम | अरुण योगीराज |
Profession | मूर्तिकार |
जन्म तिथि | 1983 |
जन्म स्थान | मैसूर, कर्नाटक |
भाई | सूर्यप्रकाश योगीराज |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित |
धर्म | हिंदू धर्म |
पत्नी | विजेता मोहन |
अरुण योगिराज का प्रारंभिक जीवन
वही अगर बात करे अरुण योगिराज का प्रारंभिक जीवन के बारे में तो आपको बता दे कि अरुण योगिराज को मूर्ति बनाने की अलौकिक कला अपने परिवार से सीखी हैं. या कह सकते है कि यह अरुण योगिराज को अपने परिवार से ही विरासत में मिली है . उनके दादा बासवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा ने संरक्षित किया था, इससे अरुण का कला के प्रति संबंध बचपन से ही जुड़ा था.
अरुण योगिराज का परिवार
हमारे अधिकांश पाठक यह भी जरूर जानना चाहते होंगे कि अरुण योगिराज का परिवार कैसा है . तो आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अरुण योगिराज का नाम कला की दुनिया में उस परिवार के साथ जुड़ा हुआ है, जिसमें मैसूर के पाँच पीढ़ियों के प्रतिष्ठित कलाकार मौजूद थे. इस प्रतिष्ठित वंश में पैदा होने से, अरुण योगिराज ने एक मूर्तिकार के कौशल को विरासत में प्राप्त किया है . वैसे आपको बता दे कि Arun Yogiraj family में इनके पिता नाम योगीराज शिल्पी हैं. इनके अलावा एक भाई है जिनका नाम सूर्यप्रकाश योगीराज है. वही Arun Yogiraj एक शादीशुदा व्यक्ति है. इनका विवाह विजेता मोहन से हुआ था.
अरुण योगिराज की शैक्षणिक योग्यता
वही अगर बात करे अरुण योगिराज की शैक्षणिक योग्यता के बारे में तो बता दे कि अरुण योगिराज ने MBA किया हुआ हैं. इसके बाद उन्होंने कुछ समय एक प्राइवेट कंपनी में काम किया . इसके साथ ही बचपन से ही मूर्तिकला में निपुण होने के नाते उन्होंने अपना पूरा ध्यान इसी क्षेत्र में लगा दिया .
अरूण योगीराज को कितना समय लगा रामलला की मूर्ति पूरी करने में ?
कर्नाटक के मात्र 38 साल के अरूण योगीराज ने कई ऐसी मूर्तियां बनाई है, जिन्हे देखकर ऐसा लगता है कि ये मूर्तियां अकस्मात जीवित हो उठेगी. यही कारण है आज देश में अरूण योगीराज ने एक प्रतिष्ठित मुर्तिकार के रूप में अपनी अलग ही पहचान बनाई है. अब आपको बताते है कि अरूण योगीराज को कितना समय लगा रामलला की मूर्ति पूरी करने में? अरूण योगीराज रामलला की मूर्ति के लिए पिछले 6 महीने से अयोध्या में रहकर ही इस पर काम कर रहे थे.वे इस भव्य मूर्ति को तराशने के लिए रोजाना 18-18 घंटे कार्य करते थें. जैसा कि आप जानते है अरुण योगीराज ने 5 साल के रामरूप को मूर्ति में तराशा है, जिसकी ऊंचाई 51 इंच है. वही उन्होंने अपने एक interview में बताया है कि, “एक कलाकार भक्त के हृदय में भगवान कैसे उतरते हैं और मतिष्क तक जाते है. फिर पत्थर में समाहित होते और मूर्ति भगवान का आकार लेती है.”
अरुण योगिराज द्वारा बनाई गई कृतियां
अब हम बात करते हैं अरुण योगिराज द्वारा बनाई गई कृतियां कौन कौन सी है इस बारे में . तो बता दे कि आज अरुण योगीराज के हालिया कार्यों में राम लला की दिव्य मूर्ति शामिल है. 51 इंच ऊंची मूर्ति को अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित कर दिया गया है. उनके दूसरे कार्यों में केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची 3-डी प्रतिमा, मैसूर जिले के चुंचनकट्टे में 21 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा, मैसूर में B. R. अंबेडकर की 15 फीट ऊंची मूर्ति का उद्घाटन शामिल है.
2018 में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, मैसूर में स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद अमृतशिला प्रतिमा , नंदी की छह फीट की अखंड मूर्ति और बनशंकरी देवी की छह फीट ऊंची मूर्ति, मैसूर के राजा , जयचामाराजेंद्र वोडेयार की 14.5 फीट ऊंची सफेद अमृतशिला (संगमरमर) मूर्ति, नलवाड़ी कृष्णराज वाडियार की 5 फीट की प्रतिमा के साथ साथ उनकी प्रसिद्ध कृतियों में से एक है .
अरुण योगिराज की उपलब्धियां और पुरस्कार
अब आइए जानते हैं अरुण योगिराज की उपलब्धियां और पुरस्कार के बारे में. तो अरुण की अतुलनीय प्रतिभा को अनगिनत पुरस्कार और सम्मानों से नवाजा गया है. जिसमें उन्होने 2014 में भारत सरकार द्वारा दक्षिण क्षेत्र युवा कलाकार पुरस्कार प्राप्त किया है.मैसूरु जिला प्रशासन द्वारा राज्योत्सव पुरस्कार, और 2021 में कर्नाटक सरकार का जकानाचारी पुरस्कार मिला.