विकलांग सर्टिफिकेट एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो विकलांग व्यक्तियों को विभिन्न सरकारी सुविधाओं और सेवाओं का लाभ दिलाने के लिए आवश्यक है।
आवश्यक दस्तावेज: पहचान पत्र (जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड), पासपोर्ट साइज फोटो, निवास प्रमाण पत्र (जैसे राशन कार्ड, वोटर आईडी), चिकित्सा प्रमाण पत्र
चिकित्सा परीक्षण: आवेदक को सरकारी अस्पताल या मान्यता प्राप्त चिकित्सा संस्थान में चिकित्सा परीक्षण कराना होगा। परीक्षण के बाद, चिकित्सक द्वारा विकलांगता की डिग्री का निर्धारण किया जाता है।
आवेदन प्रक्रिया: निर्धारित फॉर्म भरें जो संबंधित जिला चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय या ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध होता है। फॉर्म के साथ आवश्यक दस्तावेज़ संलग्न करें और जमा करें।
सत्यापन और जांच: आवेदन और दस्तावेजों की जांच और सत्यापन किया जाता है चिकित्सा अधिकारी विकलांगता का पुनर्मूल्यांकन कर सकते हैं।
प्रमाणपत्र जारी: सत्यापन के बाद, विकलांग सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। यह सर्टिफिकेट जिला चिकित्सा अधिकारी या संबंधित प्राधिकरण द्वारा हस्ताक्षरित होता है।
शैक्षिक लाभ: विकलांग विद्यार्थियों को स्कूल और कॉलेज में प्रवेश में प्राथमिकता और छात्रवृत्ति मिलती है। विशेष शैक्षिक सुविधाएं और सहायता प्रदान की जाती है।
रोजगार में लाभ: सरकारी नौकरियों में आरक्षण, विशेष कौशल प्रशिक्षण, और रोजगार मेले में प्राथमिकता दी जाती है। निजी क्षेत्र में भी आरक्षण और विशेष अवसर मिल सकते हैं।
चिकित्सा और यात्रा सुविधाएं: मुफ्त या रियायती दरों पर चिकित्सा सुविधाएं मिलती हैं। सार्वजनिक परिवहन में यात्रा के दौरान रियायतें मिलती हैं।
आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा: विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत आर्थिक सहायता और पेंशन योजनाएं प्रदान की जाती हैं। विकलांग सर्टिफिकेट धारक विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।